मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की पर्यावरण विभाग की समीक्षा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भोपाल का बड़ा तालाब हमारी समृद्ध धरोहर का हिस्सा है, सर्वे कराकर इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। बड़े तालाब के आस-पास हो रहे अवैध निर्माण और सीहोर से बड़े तालाब में आने वाले जल को अवरूद्ध करने वाली संरचनाओं के विरूद्ध कार्रवाई की जाए। सभी जिम्मेदार अधिकारी भोपाल ताल के आस-पास हो रही निर्माण गतिविधियों के प्रति सतर्क रहें और उनके विरूद्ध तत्काल कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह निर्देश मुख्यमंत्री निवास में हुई पर्यावरण विभाग की समीक्षा बैठक में दिए। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा, सचिव पर्यावरण नवनीत मोहन कोठारी तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की नदियों तथा अन्य जल संरचनाओं को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए इनके आस-पास की औद्योगिक इकाईयों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित हो कि औद्योगिक इकाइयों द्वारा उनके यहां से निकलने वाले डिस्चार्ज का प्लांट में ही ट्रीटमेंट किया जाए, बड़े होटलों पर भी यह व्यवस्था लागू हो। बैठक में सिंहस्थ-2028 के दृष्टिगत क्षिप्रा तथा कान्ह नदी के जल की गुणवत्ता की निरंतर मॉनिटरिंग तथा इस संबंध में जनजागृति के लिए विशेष गतिविधियां चलाने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जल संरचनाओं में जल जीवों, जल वनस्पतियों की स्थिति और जल की गुणवत्ता के अध्ययन के लिए विश्वविद्यालयों को भी साथ जोड़ा जाए। नदियों के आस-पास हो रही खनन गतिविधियों को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके साथ ही खनन के बाद छोड़े दिए गए गड्ढों को भरने के लिए नगरीय निकाय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का दायित्व निर्धारित किया जाए। खनन के बाद छूटे स्थानों को तालाब के रूप में विकसित किया जा सकता है, इससे आस-पास के क्षेत्र के जल स्तर में भी सुधार होगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत इंदौर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, देवास और सागर के साथ-साथ सिंगरौली और मंडीदीप की वायु गुणवत्ता सुधार के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए किसानों को नरवाई न जलाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से पर्यावरण विभाग, कृषि विभाग के साथ अभियान चलाए। नगरीय क्षेत्र में धूल व प्रदूषण को कम करने के लिए निर्माण गतिविधियों में विशेष सावधानी बरती जाए तथा रेडीमिक्स कांक्रीट के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने पुराने वाहनों से हो रहे प्रदूषण की ओर भी सतर्क रहने की आवश्यकता बताई।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश के 10 तालाबों क्रमश: भोज वेटलैण्ड भोपाल, इंदौर के सिरपुर वेटलैण्ड तथा यशवंत सागर, शिवपुरी के साख्य सागर, जाधव सागर और माधव सागर, दतिया के सीता सागर, अशोकनगर के सिंध सागर, रतलाम के अमृत सागर और सागर के सागर तालाब को वेटलैण्ड नियमों के प्रावधान अनुसार अधिसूचित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। रामसर साइट की संख्या की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश के पहले पांच राज्यों में है। वेटलैण्ड एटलस-2021 के अनुसार प्रदेश में 13 हजार 565 वेटलैण्ड्स के भौतिक सत्यापन और सीमांकन का कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की पर्यावरण विभाग की समीक्षा
Mar 08, 2025Kodand Garjanaमध्य प्रदेश0Like
Previous Postमुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की विधानसभा सत्र की तैयारियों की समीक्षा
Next Postमुख्यमंत्री ने नए कन्वेंशन सेंटर के निर्माण के लिए किया भूमि-पूजन