Search
Saturday 2 August 2025
  • :
  • :
Latest Update

लापरवाह सरकार में मध्य प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था लड़खड़ायी : जीतू पटवारी

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश की लड़खड़ायी चिकित्सा व्यवस्था को लेकर जारी अपने बयान में कहा कि प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों में एक लाख से अधिक कर्मचारियों की कमी के कारण प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह से ध्वस्त और खस्ताहाल हो गई हैं, जिससे प्रदेश के 60 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लग गया है, शेष 40 प्रतिशत चिकित्सा केंद्र अत्यंत बीमार और रूग्ण अवस्था में चल रहे हैं।

पटवारी ने कहा कि तीन-तीन, चार-चार लाख महिलाओं के बीच में महिला डॉक्टर ही नहीं हैं। बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल संभाग की अधिकांश तहसीलों में महिला डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। जिला चिकित्सा केंद्रों के 90 प्रतिशत अस्पतालों में रेडियोलाजिस्ट नहीं हैं, सोनोग्राफी मशीन चलाने वाले आपरेटर नहीं हैं। वहीं जिला स्तर की 90 प्रतिशत अस्पतालों में एंडोस्कोपी नहीं होती। जिला स्तर के अधिकांश शासकीय अस्पतालों में सीटी स्केन की व्यवस्था नहीं है और जहां है, वहां टेक्नीशियन नहीं हैं। जिला अस्पतालों में 95 प्रतिशत सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, डीएम कॉर्डियोलाजिस्ट, नोफोलाजिस्ट, यूरोलाजिस्ट, डीएम न्यूरोफिजिशियन, डीएम न्यूरोसर्जन उपलब्ध नहीं हैं।

पटवारी ने कहा कि 90 प्रतिशत जिला चिकित्सालयों में खून की जांच के लिए उच्च स्तरीय पैथौलॉजी नहीं हैं। मंडला के जिला चिकित्सालय में सीटी स्केन और एमआरआई मशीन 15 साल से पैक रखी हुई है, आज तक उसको खोला नहीं नहीं, जिससे शासन के करोड़ों रूपये पानी में बह गये। इतना ही नहीं मप्र जिला चिकित्सालयों में करोड़ों रूपये खर्च करके हार्ट के आपरेशन वायपास एवं एंजियोग्राफी के लिए कैथलेब लगायी गई, लेकिन उसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं हैं।

पटवारी ने कहा कि जिला अस्पतालों में खून की जांच के लिए जो एजेंसी आउटसोर्स की गई है, गुणवत्ताविहीन रीएजेंट का उपयोग कर रही है, जिससे उसके पास जांच के लिए न तो सही उपकरण है और ब्लड़ सैंपल की जांच करने वाले न ही कर्मचारी। इसके कारण अधिकांश ब्लड़ रिपोर्ट गलत पायी जा रही हैं।पटवारी ने कहा कि मप्र के बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल संभाग और निमाड़ के ग्रामीण अंचलों में शासकीय ब्लड़ बैंक ही नहीं हैं। ग्रामीण अंचलों में प्लेटीनेट की कमी से बड़े पैमाने पर डेंगू के कारण मौंते हो रही हैं। ऐसा ब्लड़ बैंक इन क्षेत्रों में नहीं है, जो प्रोटीन, प्लाज्मा को प्लेटिलेट से अलग कर सके, इस कारण समय पर प्लेटीलेट नहीं मिल पाने से मरीज दम तोड़ देता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और चिकित्सा महकमा इस लापरवाही पर न तो सजग है और नहीं इन स्थितियों पर ध्यान दे रही है।




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *