वरिष्ठ IAS भास्कर लाक्षाकार के कविता संग्रह ‘रामदास का मरना तय था’ का लोकार्पण
भोपाल: वरिष्ठ IAS अधिकारी भास्कर लाक्षाकार के कविता संग्रह ‘रामदास का मरना तय था’ का लोकार्पण आज दुष्यन्त कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में हुआ। समारोह की अध्यक्षता पूर्व आईएएस अधिकारी, राज्य निर्वाचन आयुक्त और वरिष्ठ साहित्यकार मनोज श्रीवास्तव ने की। देश के सुप्रसिद्ध कवि राजेश जोशी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि राजेश जोशी ने कहा कि भास्कर लाक्षाकार प्रशासनिक पाले से कविता के पाले में आ गये है, पर यह जरूरी है क्योंकि व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जीवन में संवेदनशील होता है और वह घटनाओं को अपनी दृष्टि से देखता है। उन्होंने कहा कि वैसे ब्यूरोक्रेसी का अपना संसार है और उसे समझना कठिन है पर भास्कर जैसे लोगों के माध्यम से ही ये बातें सामने आ पाती है। कविता संग्रह के शीर्षक से आम आदमी की पीड़ा व्यक्त होती है।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्वोधन में मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे पूर्वज कवि ग़ालिब नहीं है क्योंकि ग़ालिब तो अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए तीन हजार
किलोमीटर की यात्रा कर दिल्ली से कोलकाता गए थे, पर हमारे पूर्वज कवि रघुवीर सहाय है। रघुवीर सहाय ने अपने दौर में जो कविताएं आम आदमी की तकलीफों को लेकर थी वहीं आस्वाद भास्कर की कविताओं में है।उन्होंने कहा कि मानस में तुलसी ने सभी विगत और आगत कवियों के प्रति आभार व्यक्त किया है और उनका यह आभार बताता है कि उन्हें विश्वास था कि अगर विगत में सामाजिक विसंगतियों और अंधकार से लड़ने की रचना हुई है तो भविष्य में भी इस तरह के रचनाएं होती रहेगी।उन्होंने कहा कि संग्रह में 31 कविताएं अपने समय की वास्तविकता को बताती हैं। उन्होंने कहा कि भास्कर की कविताओं में ईश्वर के साथ जटिल रिश्तेदारी है और इस जटिल रिश्तेदारी से ऐसा लगता है कि ईश्वर भी मूर्खों की जमात से मुक्ति पाना चाहता है।