शिगेरु इशिबा ने क्यों छोड़ा प्रधानमंत्री पद
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था- जापान में राजनीतिक संकट लगातार जारी है। इस बीच देश के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा देने का एलान कर दिया। इशिबा ने अपनी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को टूट से बचाने के लिए पीएम पद छोड़ने की बात कही। गौरतलब है कि पार्टी सोमवार को नेतृत्व के लिए चुनाव कराने की तैयारी कर चुकी थी। ऐसे में अगर इस चुनाव को मंजूरी मिल जाती तो इसे इशिबा के नेतृत्व पर अविश्वास के तौर पर देखा जाता और पार्टी में ही सर्वसम्मति का नेतृत्व न होने की वजह से फूट पड़ सकती थी।
जापान में प्रधानमंत्री चुने जाने की प्रक्रिया अन्य देशों के मुकाबले काफी जटिल है। इशिबा जिस लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं, उसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अधिकतर वर्षों तक देश पर शासन किया है। हालांकि, पार्टी की अंदरूनी राजनीति के चलते प्रधानमंत्री शिंजो आबे के बाद से देश में चार साल में लगातार चार पीएम बदल चुके हैं।
गौरतलब है कि जापान में पिछले साल ही प्रधानमंत्री पद के चुनाव हुए थे। इसमें शिगेरु इशिबा की एलडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, 465 सीट वाले संसद के निचले सदन- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए हुए चुनाव में इशिबा की पार्टी 233 सीटों के बहुमत से कुछ दूर रह गई। उसे 191 सीटें मिलीं। साथ ही उसकी गठबंधन की साथी पार्टी- कोमिएतो भी बहुमत तक पहुंचाने लायक सीटें नहीं ला पाई। जापान में यह 1955 के बाद पहली बार था, जब किसी भी दल को 200 सीटें नहीं मिलीं। हालांकि, इसके बावजूद इशिबा ने संसद में विश्वास मत के लिए हुई वोटिंग में 221 वोट हासिल कर लिए, जो कि बहुमत से महज 12 ही कम रहा। जापान की व्यवस्था के मुताबिक, उन्हें अल्पमत की सरकार में प्रधानमंत्री का पद मिला।