रघुराजपुर:
ओडिशा का जीवंत विरासत ग्राम जहाँ कला और संस्कृति सांस लेती है
पुरी जिले से लगभग 10-12 किलोमीटर दूर स्थित रघुराजपुर एक ऐसा अनोखा गाँव है, जहाँ हर घर एक कलाकार का घर है और हर गली में कला की कहानी बसी है। यह गाँव न केवल ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि भारत की प्राचीन कलाओं को जीवित रखने का प्रेरणास्रोत भी है।
पट्टचित्र कला की जन्मभूमि
रघुराजपुर विशेष रूप से पट्टचित्र (Pattachitra) कला के लिए जाना जाता है। यह पारंपरिक चित्रकला कपड़े या सुखाए गए ताड़ के पत्तों पर बनाई जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, विष्णु, रामायण और महाभारत की कथाएँ जीवंत रूप में दिखाई देती हैं। यह कला 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक की मानी जाती है और आज भी यहाँ के कलाकार पारंपरिक तकनीकों और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करते हैं।
गोतिपुआ नृत्य की परंपरा
यह गाँव ओडिशी नृत्य के प्रारंभिक रूप गोतिपुआ के लिए भी प्रसिद्ध है। इसमें छोटे लड़के स्त्री वेश में भगवान जगन्नाथ की स्तुति करते हुए नृत्य करते हैं। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से यहाँ जीवित है और पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकार इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
हस्तशिल्प की विविधता
पट्टचित्र के अलावा रघुराजपुर में तुसार चित्रकला, तालपत्र चित्रण, लकड़ी और पत्थर की नक्काशी, गोबर से बने खिलौने, कागज के मुखौटे (पेपर-माशे), और हथकरघा से जुड़े कई अन्य हस्तशिल्प भी बनाए जाते हैं। इन शिल्पों को देखकर लगता है कि यह गाँव एक जीवंत कला संग्रहालय है।
महान गुरुओं की जन्मस्थली
रघुराजपुर को ओडिशी नृत्य के महान गुरु केलुचरण महापात्र और गोतिपुआ नृत्य के प्रतिष्ठित गुरु मगुनी चरण दास की जन्मस्थली होने का गौरव भी प्राप्त है। यह गाँव इन विभूतियों की सांस्कृतिक विरासत को आज भी आत्मीयता से संजोए हुए है।
पर्यटन और विरासत संरक्षण
वर्ष 2000 में INTACH (Indian National Trust for Art and Cultural Heritage) ने रघुराजपुर को एक हस्तशिल्प ग्राम के रूप में विकसित किया। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल कलाकारों की कार्यशालाएँ देख सकते हैं, बल्कि उनसे बातचीत करके कला की बारीकियों को भी समझ सकते हैं।
कैसे पहुँचे रघुराजपुर
यह गाँव पुरी-भुवनेश्वर राजमार्ग पर स्थित है और पुरी से चंदनपुर के रास्ते आसानी से पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग: पुरी रेलवे स्टेशन से टैक्सी, ऑटो या बस के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग: भुवनेश्वर स्थित बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (60 किमी दूर) निकटतम एयरपोर्ट है।
पर्यटन के सुझाव
पट्टचित्र और अन्य कलाओं की कार्यशालाओं में भाग लें।
गोतिपुआ नृत्य का सजीव प्रदर्शन देखें।
भर्गवी नदी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें।
अक्टूबर से मार्च के बीच यात्रा करें, जब मौसम सुहावना होता है।