खाद अव्यवस्था के लिए कलेक्टर होंगे जिम्मेदार – सीएम डॉ मोहन यादव
मध्य प्रदेश सरकार के दावे के मुताबिक प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है, किसानों तक खाद पहुँचाना सरकार की प्रतिबद्धता है और इसके लिए प्रबंध किये गए हैं लेकिन जो तस्वीरें पिछले कुछ दिनों से सामने आ रही हैं वो इससे उलट हैं, किसान परेशान है उसे खाद नहीं मिल रहा, उल्टा रीवा में किसान को पुलिस के डंडे खाने पड़े,दमोह में किसान शटर खोल कर खाद गोदाम में घुस गया, इस बीच मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि खाद वितरण में अव्यवस्था के लिए जिले के कलेक्टर उत्तरदायी होंगे
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज प्रदेश के अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और जिलों में खाद वितरण की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना सहित अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में सभी जिले के कलेक्टर एवं संबंधित अधिकारी वर्चुअली जुड़े।
खाद वितरण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी
मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिलों में खाद वितरण के संबंध में जिला प्रशासन आवश्यक व्यवस्था बनाए। उपलब्ध खाद की उचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से निरंतर संवाद और संपर्क में रहे। खाद वितरण की व्यवस्था में किसान संगठन के प्रतिनिधियों को भी जोड़ा जाए। जिलों में यदि खाद वितरण को लेकर अव्यवस्था होती है तो उसके लिए जिला कलेक्टर उत्तरदायी होंगे। राज्य सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ है।
किसानों को उपलब्ध खाद की वास्तविक स्थिति की जानकारी दें
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिलों में उर्वरक उपलब्धता की सघन समीक्षा की जाए। साथ ही जिले में उपलब्ध उर्वरक के स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों से भी साझा करें, इससे किसानों को जिले में उर्वरक उपलब्धता की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने में मदद मिलेगी। जिला प्रशासन डबल लॉक, पैक्स और निजी विक्रय केंद्रों का आकस्मिक सत्यापन और उनकी मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से करें। अतिरिक्त विक्रय केन्द्र की आवश्यकता होने पर उनका संचालन तत्काल आरंभ किया जाए। कृषि, सहकारी बैंक, विपणन संघ के अधिकारी निरंतर सम्पर्क में रहें।
धार, दमोह, जबलपुर, रीवा जिले के कलेक्टरों से चर्चा
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने खाद वितरण व्यवस्था के संबंध में धार, दमोह, जबलपुर और रीवा जिले के कलेक्टरों से चर्चा की। दमोह कलेक्टर ने बताया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सतत् सम्पर्क और संवाद सुनिश्चित करते हुए वितरण व्यवस्था में उनका सहयोग लिया जा रहा है। साथ ही टोकन वितरण और उर्वरक वितरण को अलग-अलग किया गया है। टोकन तहसील कार्यालय से बांटे जा रहे हैं और वितरण विक्रय केन्द्रों से किया जा रहा है। जबलपुर कलेक्टर ने बताया कि किसानों के लिए टोकन वितरण की व्यवस्था फोन कॉल द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। उर्वरक वितरण केन्द्रों पर डिस्पले बोर्ड लगाए गए हैं। बोर्ड न पर टोकन नंबर प्रदर्शित कर उर्वरक वितरण किया जा रहा है। डिस्पले बोर्ड पर जिले में उपलब्ध उर्वरकों की मात्रा भी प्रदर्शित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अन्य जिलों को भी इस प्रकार के नवाचार अपनाने के निर्देश दिए।
बाढ़ और अतिवृष्टि की स्थिति में सजग, सक्रिय रहे पुलिस प्रशासन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जिन-जिन क्षेत्रों में भी अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को क्षति हुई है, वहां राहत के लिए तत्काल कार्रवाई आरंभ की जाए। साथ ही जनहानि और पशु हानि की स्थिति में 24 घंटे में राहत उपलबध कराई जाए। बाढ़ के दौरान अस्थाई कैम्प व्यवस्था, राशन वितरण, भोजन वितरण आदि की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सामग्री सभी संभावित स्थानों पर उपलब्ध हो। आगामी दिनों में भी भारी वर्षा की संभावना है। सभी जिलों में पुलिस प्रशासन सक्रिय और सजग रहते हुए पुल-पुलिया में बैरिकेटिंग और बाढ़ की स्थिति में पुल क्रास न करने की चेतावनी की व्यवस्था जैसी सभी आवश्यक सावधानियां सुनिश्चित करें।
प्रदेश में दर्ज की गई औसत से 21 प्रतिशत अधिक वर्षा
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 1 जून से 2 सितम्बर तक 971.5 एमएम अर्थात् 38.24 इंच वर्षा दर्ज की गई है, जो औसत से 21 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 21 जिलों में भिण्ड, छतरपुर, श्योपुर, ग्वालियर, नीमच, मुरैना, शिवपुरी, अशोकनगर, अलीराजपुर, सिंगरौली, राजगढ़, मण्डला, सीधी, टीकमगढ़, गुना, नरसिंहपुर, दतिया, रतलाम, उमरिया, रायसेन और सिवनी में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। सर्वाधिक वर्षा गुना, मण्डला, श्योपुर, रायसेन और अशोकनगर में दर्ज हुई। प्रदेश के प्रमुख बांधों में जलभराव की स्थित की जानकारी भी प्रस्तुत की गई।