रिंकेश बैरागी
बाग्लादेशी और रोहिग्या घुसपैठिये देश की संप्रभुता के लिए खतरा है, इन घुसपैठियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था, राजनीति, कानून
व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था एक बहुत बड़े संकट के घेरे में है, वहीं बीते कुछ समय से रोहिग्या घुसपैठियों ने इस समस्या से उपजे
संकट को और भी अधिक गंभीर रुप दे दिया है। साथ ही घुसपैठियों की सहायता करने वाले भी देश के लिए घातक है। चुकी वो
घुसपैठियों का साथ दे रहे हैं इसीलिए सहायता करने वाले उनके फर्जी डॉक्युमेंट तैयार करने वाले देशद्रोही है उन पर राष्ट्रद्रोह का
मुकदमा चलना चाहीए।
हाल ही में मुम्बई में सैफ अली खान पर हमला करने वाला शख्स जब पुलिस के पकड़ में आया तो पुलिस ने
उसकी पुष्टी की जिसका नाम मोहम्मद शरीफुल इस्लाम बताया गया जो की बांग्लादेशी है, यह मुस्लिम आरोपी भारत देश में नाम
बदलकर रहता था। जानकारी के अनुसार अपराधिक प्रवृति का शरीफुल इस्लाम विजय दास के नाम से मुम्बई के थाणे और वर्ली में
हाउसकीपिंग का काम करता था। पुलिस की जानकारी के अनुसार शरीफुल इस्लाम चोरी करते हुए पकड़ाया जिसकी वजह से उसे नोकरी
से निकाल दिया गया लेकिन मजबूत तंत्र की मदद से फिर से काम पाने में वह सफल हो गया। हमें इस मजबूत तंत्र को पहचानना
होगा और इसे समाप्त करना होगा।
भारत के लिए चिंताजनक बात यह है कि, एक तो पूरे भारत में करीब-करीब पांच से छ करोड़
घुसपैठिये है फिर इनकी सहायता करने वाले देशद्रोहियों की संख्या भी है, उसके बाद इन घुसपैठियों ने फर्जी नाम और फर्जी प्रमाण पत्र
हासिल कर देश के विभिन्न स्थानों पर अपना ठिकाना बना लिया है। इन घुसपैठियों को फर्जी नाम के साथ पकड़ने की भारत सरकार के
पास एक चुनौती बन गया है, इस चुनौती से बड़ी चुनौती यह भी है कि इन घुसपैठियों को वापस भेजना भी है।
घुसपैठियों के फर्जी
प्रमाणपत्र बनाने वाले सेंडीकेट को यह अंदाजा नहीं है कि, ये किस तरह देश के लिए खतरनाक है कैसे ये देश को खोखला करने पर लगे
हुए है, इन देशद्रोहियों के कारण जनसंख्यां का संतुलन बिगड़ चुका है। बुद्धीजीवियों का मानना है कि ये घुसपैठिये हमारे सामाजिक
तानेबाने को छिन्न-भिन्न तो कर ही रहे हैं साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहे हैं।
सरकार जब भी घुसपैठियों को बाहर
खदेड़ने का कोई अभियान चलाने की बात करती है तो वह सिर्फ और सिर्फ नाटकिय मोड़ के लिए या सुर्खियों में आने के लिए कहती है।
औऱ ऐसे आधे-अधूरे अभियानों के परिणाम यह होते हैं कि घुसपैठ कराने और उनके फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वालो के दुस्साहस में वृद्धी
होती जाती है। देश की रक्षा सुरक्षी के लिए घुसपैठियों को रोकना और उनकी सहायता करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की
सरकार को आवश्यकता है अन्यथा ये घुसपैठिये देश को खोखला कर देगे।
देश की संप्रभूता के लिए संकट घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे
सिंडिकेट के उन्मुलन और घुसपैठ रोकने के उपाय देश में हो रही गंदी राजनीति के भेट चढ़ गए। सीमा के इस पार और उस पार यहां
तक कि, सीमा के अंदर भी तस्करो का नेटवर्क शक्ति के साथ काम कर रहा है जिस पर राजनीति संरक्षण भी प्राप्त है। यह विचारणिय
बात है कि सीमा पर कड़ी सुरक्षा के बाद भी घुसपैठिये भारतीय सीमा पार कर भारत देश में आसानी से प्रवेश कर जाते है। बांग्लादेश
भारत के खिलाफ इस तरह षड़यंत्र रचेगा और घुसपैठियों को भेजकर भारत की अखण्डता को भंग करने के प्रयास प्रबल करेगा इस बात
को भाजपा सरकार को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए।
बहरहाल देश की सुरक्षा के लिए आइडेंटिफिकेशन ड्राइव चलाने की आवश्यकता
है, सभी राज्य सरकारों, विशेषरुप से सीमा से सटे राज्यों की पुलिस और जिला प्रशासन को घुसपैठियो को पकड़ने और इनके फर्जी
पमाणपत्र बनाने वालों पर सख्त कार्रवाही करनी चाहिए।
हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, देश के 75 वर्ष के परिपूर्ण गणतंत्र
को मना रहे हैं लेकिन हम आज भी उस तंत्र के सामने बौने प्रतित हो रहे हैं जो बरसो बरस से घुसपैठियों को भारत की सीमा में प्रवेश
करने के साथ यहां उनके फर्जी प्रमाणपत्र भी बनवा रहा है। सरकारें यदी सफल नहीं हो पा रही है तो नागरिको की भी जिम्मेदारी बनती
है कि राष्ट्रहीत में वे आगे आए… संदिग्ध व्यक्ति की सूचना पुलिस को दे। महानगरो में है तो जिस किसे भी घर, ऑफिस के काम के
लिए नियुक्त कर रहे हैं उसके सारे डॉक्युमेंट चेक कर पुलिस को भी सूचना दे।
जागरुकता की कड़ी में राष्ट्रहीत की विचारधारा रखने
वालो की टोली तैयार करना चाहिए जो ग्रामीण क्षेत्र से नगरिय और शहरी क्षेत्र में उन संग्दिग्ध लोगों को चिंन्हीत करे जो अपरिचीत हो,
नये हो, जिनका जिले में कोई इतिहास नहीं हो। यदि उनमें से कोई घुसपैठिया पकड़ जाता है तो उसके आधार कार्ड नम्बर को युडीआई
से वेरिफाई करवा कर यह पता लगवाया जा सकता है कि, किस मशीन की आईडी से उसका प्रमाणपत्र बना है… उसमें उनसे किन-किन
जाली दस्तावेजों को दिया है और वो जाली दस्तावेज कहां से किसने बनाए है यह भी पता लगाया जा सकता है। इस तरह अगर जिला
या संभाग स्तर पर भी टोलिया बना दी जाए जो निष्ठावान होकर कार्य करे तो निश्चिंत ही घुसपैठियों की सहायता करने वालों को
सलाखो के पिछे कर उन पर देशद्रोह की कायमी की जा सकेगी।