एमपी के तीन लाख शिक्षक नये नियम के दायरे में – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों को लेकर नये नियम का फैसला सुना दिया है। जिसके बाद अकेले एमपी में तीन लाख शिक्षकों की चिंता बढा़ दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जिनकी सेवा अवधि पांच साल से ज्यादा बाकी है, उन्हें दो साल में TET (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की परीक्षा पास करनी होगी। अगर इस नियम को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो इनके प्रमोशन से लेकर नौकरी तक का अधिकार संकट में पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का सबसे ज्यादा असर भी मध्य प्रदेश के शिक्षकों पर पड़ेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत विशेष अधिकारों का प्रयोग करते हुए ये निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि इससे पहले नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने शिक्षकों को TET परीक्षा पास करने के लिए पांच साल का समय दिया था। इसे बाद में 4 साल के लिए और बढ़ाया गया था। NCTE के इस निर्णय के खिलाफ उम्मीद्वारों ने कोर्ट का रुख किया था।
एमपी के शिक्षकों पर क्यों लटकी तलवार?
1984-1990 तक एमपी में शिक्षकों की भर्ती (Teachers Appointment) मिनी पीएससी के माध्यम से की जाती थी। बाद में इनकी नियुक्ति का अधिकार नगर निगम और पंचायतों को मिल गया। इस प्रक्रिया के तहत नियुक्त किए गए शिक्षकों को तब शिक्षाकर्मी कहा जाने लगा। वहीं 2018 में इनका संविलियन अध्यापकों के रूप में हुआ। लेकिन इनमें से किसी ने भी टेट पात्रता परीक्षा पास नहीं की है। 2018 के बाद से प्रदेशभर के शिक्षकों की भर्ती कर्मचारी चयन मंडल कर रहा है। इस नियुक्ति के तहत ही TET परीक्षा पास करना अनिवार्य किया गया।