छत्तीसगढ़ मे होली दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं यहां के लोग
गांव में सुख-षांति स्थापित हो और सभी के दुख-दर्द दूर हो इसलिए गांव वाले होलीका दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते है। और देवी कृपा मानते हुए उनके पैरों में कोई भी निषान नहीं होता है। उसके बाद दूसरे दिन उसी राख से होली खेलते है। ये परंपरा पिछले 800 सालों से निभाई जा रही है। साथ ही होली के तीन-चार दिन पहले से ही वहां के युवा और बुर्जुग घेर (डांडिया) खेलते हैं।
छत्तीसगढ़ मे होली दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं यहां के लोग
Mar 13, 2025Kodand Garjanaछत्तीसगढ़0Like
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