Search
Friday 1 August 2025
  • :
  • :
Latest Update

भू​—माफिया ने भगवान को भी नहीं छोड़ा,बेच डाली’बिहारी जी’ के नाम दर्ज जमीन

भू—माफिया ने भगवान को भी नहीं छोड़ा,बेच डाली’बिहारी जी’ के

नाम दर्ज जमीन

‘तपोभूमि’हड़पने वालों पर प्रशासन का प्रहार

टीकमगढ़।

मध्य प्रदेश के भू—माफिया को अब भगवान का भी डर नहीं रहा।

टीकमगढ़ की तपोभूमि कहा जाने वाला ‘श्री बिहारी जू’का ऐतिहासिक मंदिर इसकी बानगी है। जिसकी करीब ढाई एकड़ कृषि जमीन को माफिया ने अवैध तरीके से पहले अपने नाम कराई और कालोनी का निर्माण काम शुरू कर दिया।

 

मामला संज्ञान में आने पर जिला कलेक्टर विवेक श्रोत्रिय ने अवैध नामांतरण को निरस्त कर दिया है। कलेक्टर ने अपने आदेश में मंदिर की 2.37 एकड़ भूमि (खसरा नंबर 768 और 769)को पुनः मंदिर प्रबंधक (कलेक्टर टीकमगढ़) के नाम दर्ज करने का आदेश भी दिया। यही नहीं,उन्होंने अवैध कालोनी में हुए निर्माण कार्य तोड़ने व सांठगांठ से जमीन का नामांतरण कराने व निर्माण कार्य शुरू करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के भी आदेश दिए।

 

भगवान के नाम पर रही मंदिर की रजिस्ट्री

सूत्रों के अनुसार,मंदिर व इससे जुड़ी कृषि भूमि की रजिस्ट्री वर्ष 1944 तक भगवान बिहारी जू व मंदिर के पुजारियों के नाम दर्ज रही।बाद में इसे शासकीय घोषित किया गया। साल 2022 में इलाके के एसडीएम की अदालत ने एक आदेश के तहत इसे सरकारी से निजी संपत्ति घोषित कर दी। इसमें बिहारी जू का नाम हटा दिया गया। साल भर बाद ही मंदिर के पुजारियों ने 2.37 एकड़ जमीन एक कालोनाइजर को साढ़े सात करोड़ रुपए में बेच दी। जमीन का नामांतरण भी कालोनाइजर के नाम हो गया।

 

सालभर में बिक गए दो दर्जन भूखंड

जमीन अपने नाम होते ही कालोनाइजर ने मंदिर भूमि पर प्लाटिंग शुरू कर दी। सालभर में दो दर्जन से अधिक भूखंड बिक गए। तीन भूखंडधारकों ने मकान भी तैयार कर लिए। मंदिर की जमीन को इस तरह हड़पे जाने की शिकायत राज्य सरकार को हुई। जांच में मामला शिकायत सही पाए जाने पर कलेक्टर श्रोत्रिय ने मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।

 

पुख्ता आदेश ने माफिया के हौंसले किए पस्त

सूत्रों के अनुसार,जिला राजस्व न्यायालय के आदेश में अंग्रेजो के दौर के मालगुजारी कानून से लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के संबंधित फैसलों का जिक्र किया गया है। इन्हीं को आधार बनाकर ही कलेक्टर ने अपना फैसला भी सुनाया। पुख्ता तौर पर तैयार इस आदेश ने माफिया के हौसले पस्त कर दिए हैं,जो प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ से ही कलेक्टर के आदेश पर स्थगन लेने की तैयार में रहा।

 

निर्माण तोड़ने व एफआईआर करने के आदेश

जिला राजस्व न्यायालय ने अपने आदेश में मंदिर भूमि पर हुए कब्जे हटाने व अवैध तरीके से जमीन को हथियाने व जमीन बेचने वालों के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश भी दिए। कलेक्टर के इस सख्त आदेश से उन अधिकारियों में भी बेचैनी है जिनकी इस गोरखधंधे में मिलीभगत रही।

 

मंदिर व इसकी जमीन प्रशासन के हाथों में

कलेक्टर ने मंदिर व इससे जुड़ी जमीन को वापस कलेक्टर टीकमगढ़ के नाम नामांतरित किए जाने के आदेश दिए। इस तरह,बिहारी जू मंदिर भूमि एक बार फिर सरकारी हो गई है।

 

भगवान के यहां देर है,अंधेर नहीं

इस संबंध में कलेक्टर श्रोत्रिय ने कहा—आमतौर पर इस तरह के मामलों में मप्र भू—राजस्व संहिता 1959 का हवाला देकर जमीन खुर्दबुर्द हो जाती है,लेकिन इस प्रकरण की जटिलता को देखते हुए उन्होंने मालगुजारी कानून का अध्ययन किया। वहीं ऐसे मामलों में आए शीर्ष अदालतों के फैसले भी पढ़े। मालगुजारी कानून में भगवान की मूर्ति के नाम पर धार्मिक स्थलों की अचल संपत्ति नामांतरित होती रही। टीकमगढ़ के बिहारी जू मंदिर की अचल संपत्ति में पुजारियों के साथ बिहारी जू यानी भगवान की मूर्ति भी शामिल है। बहरहाल,मंदिर को लेकर आया यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। कहते भी हैं,भगवान के यहां देर है,लेकिन अंधेर नहीं।




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *