Search
Friday 1 August 2025
  • :
  • :
Latest Update

भोज मुक्त विवि में लगी आग एक बड़ी साजिश का हिस्सा,फॉरेंसिक जांच में मिले आग लगाने के सबूत सिद्धहस्त नहीं निकला साजिश को अंजाम देने वाला

भोज मुक्त विवि में लगी आग एक बड़ी साजिश का हिस्सा,फॉरेंसिक जांच में मिले आग लगाने के सबूत
सिद्धहस्त नहीं निकला साजिश को अंजाम देने वाला

भोपाल। मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में चार दिन पहले हुई आगजनी एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में इससे जुड़े तथ्यों का खुलासा हुआ है।

प्रारंभिक जांच में यह तथ्य साफ होने के बाद चूना भट्टी पुलिस ने मंगलवार को विवि रजिस्ट्रार को नोटिस थमाकर जवाब तलब किया है।

सूत्रों के मुताबिक,प्रारंभिक जांच में पुलिस को घटनास्थल से माचिस की जली हुई तीलियां,आग लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए मुड़े हुए अधजले कागज एवं कुछ इस तरह के अन्य साक्ष्य मिले हैं,जो बताते हैं कि पुस्तकालय में आग एक सोची समझी साजिश के तहत लगाई गई। बताया जाता है,कि वारदात को अंजाम देने से पहले ​सेल्फ में रखी पुस्तकों का पहले नीचे ढेर लगाया गया। पुस्तकालय में लगे पर्दे निकालकर पुस्तकों के ढेर पर डाले गए,लेकिन संयोग यह रहा कि पर्दों व पुस्तकों ने आग नहीं पकड़ी और वारदात में चंद पुस्तकों को ही नुकसान पहुंचा। वहीं पर्दे भी अधजले रह गए। फॉरेसिंक जांच व घटना स्थल पर मिले साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने मंगलवार को विवि रजिस्ट्रार सुशील मंडेरिया को नोटिस थमाकर जवाब तलब किया है।

दस लाख की किताबों की हेराफेरी
सूत्रों के मुताबिक,पु​स्तकालय में आगजनी की इस वारदाता के पीछे दस लाख रुपए कीमत की किताबों की हेराफेरी भी एक बड़ी वजह बताई जाती है। इसकी विभागीय जांच भी जारी है। कांग्रेस विधायक योगेंद्र सिंह बाबा ने यह मामला राज्य विधानसभा में भी बीते साल उठाया था,लेकिन विवि प्रशासन की ओर से सदन को गलत जानकारी भेजे जाने पर कांग्रेस सदस्य ने विधानसभा प्रमुख सचिव को पत्र सौंपकर इस मामले की जांच सदन की प्रश्न एवं संदर्भ समिति से कराए जाने की मांग की थी। बताया जाता है कि ​विधायक की मांग पर सदन की संबंधित समिति भी प्रकरण की जांच कर रही है।

अवैध नियुक्तियों को लेकर भी है विवाद
विश्वविद्यालय 72 अधिकारी,कर्मचारियों की ​बैकडोर पदस्थापना को लेकर भी विवादों में रहा है। यहां तक कि पूर्व में हुई जांच में आरोप सही पाए जाने पर राज्य शासन ने इन नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था,लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने हठधर्मिता ​दिखाते हुए
संबंधित अधिकारी,कर्मचारियों की सेवा को निरंतर रखा। इसे लेकर विधानसभा के पिछले ही सत्र में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने जांच कराने का आश्वासन सदन को दिया था। इसी माह शुरू हो रहे विधानसभा के पावस सत्र में एक बार फिर यह मामला गर्माने के आसार हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय प्रभारी एलएन झारिया ने कहा कि पुलिस जांच में साजिशकर्ता का जल्द ही पर्दाफाश होगा।




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *