भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ लगभग 60% जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। फिर भी, भारतीय किसान अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिससे खेती एक कठिन पेशा बनता जा रहा है। सरकार की कई योजनाओं के बावजूद किसानों की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है।
1. सिंचाई और जल संकट
भारत में कई क्षेत्रों में सिंचाई की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है। मानसून पर अत्यधिक निर्भरता किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ फसल उत्पादन को प्रभावित करती हैं। भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, जिससे खेती के लिए जल की उपलब्धता कम हो रही है।
2. कर्ज और आर्थिक तंगी
भारतीय किसानों के लिए कर्ज एक गंभीर समस्या है। खेती में अधिक निवेश के बावजूद उचित लाभ न मिलने के कारण वे साहूकारों और बैंकों से कर्ज लेने को मजबूर होते हैं। यदि फसल खराब हो जाए या बाजार में उचित दाम न मिले, तो वे कर्ज चुकाने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उन्हें आत्महत्या तक करनी पड़ती है।
3. फसल की उचित कीमत न मिलना
किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता। बाजार में बिचौलियों का दबदबा होने के कारण किसान अपनी फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था सभी फसलों पर लागू नहीं होती, जिससे किसान शोषण का शिकार होते हैं।
4. प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अस्थिरता बढ़ रही है। असमय बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ फसल उत्पादन को प्रभावित कर रही हैं। इससे किसानों को भारी नुकसान होता है और वे आर्थिक संकट में आ जाते हैं।
5. आधुनिक तकनीक और शिक्षा की कमी
अधिकांश किसान पारंपरिक खेती पर निर्भर हैं और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों की पर्याप्त जानकारी नहीं होती। यदि वे उन्नत बीज, जैविक खेती, ड्रिप सिंचाई और अन्य आधुनिक विधियों को अपनाएँ, तो उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। लेकिन इसके लिए शिक्षा और जागरूकता की कमी एक बड़ी बाधा है।
6. कृषि पर सरकारी नीतियों का प्रभाव
सरकार किसानों की मदद के लिए विभिन्न योजनाएँ लाती है, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, और सिंचाई योजनाएँ। लेकिन इन योजनाओं का लाभ सभी किसानों तक नहीं पहुँच पाता। कई बार नीतियाँ किसानों के बजाय बड़े उद्योगपतियों को अधिक फायदा पहुँचाती हैं।
7. जमीन का छोटा आकार और जोत की समस्या
भारत में किसानों के पास बहुत छोटे जोत के खेत होते हैं, जिससे आधुनिक मशीनों का उपयोग करना कठिन हो जाता है। छोटे खेतों में उत्पादन लागत अधिक आती है और लाभ कम होता है।
8. कृषि से युवाओं का पलायन
खेती में कम लाभ और कठिन परिश्रम के कारण युवा पीढ़ी अब इस पेशे से दूर जा रही है। वे नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।
समाधान और उपाय
1. सिंचाई सुधार – आधुनिक सिंचाई तकनीकों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा देना चाहिए।
2. कर्ज माफी और वित्तीय सहायता – किसानों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना और साहूकारों के चंगुल से बचाना आवश्यक है।
3. फसल बीमा और सुरक्षा – किसानों को फसल बीमा का पूरा लाभ मिलना चाहिए, जिससे प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके।
4. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को प्रभावी बनाना – सभी फसलों के लिए MSP लागू करना और सीधे किसानों से खरीद सुनिश्चित करना चाहिए।
5. शिक्षा और तकनीकी ज्ञान – किसानों को आधुनिक तकनीकों और जैविक खेती के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।
6. बिचौलियों की भूमिका कम करना – सरकार को ऐसे प्लेटफॉर्म बनाने चाहिए, जिससे किसान सीधे ग्राहकों तक अपनी उपज बेच सकें।
7. कृषि में नवाचार और अनुसंधान – वैज्ञानिक तरीकों से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध और नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए।
निष्कर्ष
भारतीय किसानों की समस्याएँ बहुआयामी हैं और इनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार, समाज और स्वयं किसानों को मिलकर कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में काम करना होगा। यदि सही नीतियाँ बनाई जाएँ और उनका प्रभावी कार्यान्वयन हो, तो भारतीय कृषि को एक नया आयाम दिया जा सकता है और किसानों की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।