रामनवमी पर्व भगवान राम का जन्म उत्सव पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है और इस बार की रामनवमी इसलिए भी खास है कि भगवान श्री राम की जन्म स्थली अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर तैयार हो रहा है। राम मंदिर निर्माण को लेकर राजनीति पार्टियां अपना अपना राग अलाप रही है। लेकिन कृष्ण ने गीता में कहा है कि बिना उनकी मर्जी के एक पत्ता भी नहीं हिल सकता, मतलब साफ है कि भगवान राम ने अपने मंदिर का निर्माण इस कालखंड में चुना था। निमित्त चाहे जो भी हो पर जब पुरुषार्थ की बात होती है तो श्रीराम की होती है पुरुषों में श्रेष्ठ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम दशरथ नंदन राजाराम बारह कलाओं और सोलह गुणों से परिपूर्ण जो है । जिसमें से एक पत्नी व्रत गुण धारण किए हुए है जो उन्हें श्रेष्ठ बनाता है एकवचन और एक धनुष धारण करने वाले बारह कलाओं से युक्त है भगवान श्री राम सोलह कलाओं से युक्त स्वयं ईश्वर ही होता है। धरती पर जन्म लेने वाले हर प्राणी में कोई ना कोई गुण और कला विद्यमान होते हैं। जैसे पत्थर और पेड़ में एक से दो कला विद्यमान है। पशु और पक्षी में दो से 4 कलाएं विद्वान होते हैं। साधारण मानव में चार से पांच कलाएं और संस्कारी मानव में छः कलाएं विद्यमान होती हैं। इसी प्रकार ऋषि मुनि संतों में सात से आठ कलाएं विद्वान होते हैं जो उनकी चेतना को चरम प्रदान करते है।जो उन्हें श्रेष्ठ और पूजनीय बनाते हैं। जो आज के जमाने में दुर्लभ ही मिलते हैं जिसमें आठ कलाएं विद्यमान हो ।वही नौ कलाओं से युक्त सप्त ऋषि मनु या देवता प्रजापति लोकपाल आदि होते हैं। इसके बाद 10 कलाएं सिर्फ ईश्वर के अवतारों में ही विद्यमान होती हैं। जिसमें भगवान राम बारह कलाओं से परिपूर्ण थे वही भगवान श्री कृष्ण सोलह कलाओं से परिपूर्ण थे जो मानव चेतना का सर्वोच्च स्तर होता है। इसलिए भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम और भगवान श्री कृष्ण को जगन्नाथ यानी जगत गुरु कहा जाता है। क्योंकि भगवान विष्णु कृष्ण अवतार में सोलह कलाओं से परिपूर्ण थे ।जिन्होंने मानव को अपने विराट रूप के दर्शन दिए और गीता ज्ञान का उपदेश दिया वही भगवान राम रूप में मर्यादा,वचन,और धैर्य का ज्ञान दिया।
शालिग्राम से हो रहा मूर्ति निर्माण
हिंदू धर्म के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के मंदिर का भव्य निर्माण जोरों पर है अयोध्या में 2024 में भव्य मंदिर निर्माण तैयार हो जाएगा ।मंदिर में स्थापना के लिए राम सीता लक्ष्मण की मूर्तियों का निर्माण शालिग्राम पत्थर से किया जा रहा हैं, जो नेपाल की गंडकी नदी से आई है। कहते हैं मूर्ति निर्माण के लिए नेपाल से जो शालिग्राम पत्थर भारत लाया गया है। वह 6000 साल पुराना है शालिग्राम पत्थर का भी अपना इतिहास है और मान्यता है कहते हैं शालिग्राम नेपाल की गंडकी नदी में ही पाया जाता है। हिंदू धर्म में शालिग्राम शिला का बहुत महत्व है, शालिग्राम को पवित्र माना जाता है यह एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है जिसमें परमेश्वर भगवान विष्णु साक्षात विराजमान है, शालिग्राम में भगवान विष्णु का चक्र पद्म शंख के साक्षात दर्शन होते हैं। शालिग्राम में शंख चक्र विद्यमान रहते हैं शालिग्राम को भगवान विष्णु का विग्रह रूप माना जाता है ।पुराणों के अनुसार देवी वृंदा ने भगवान विष्णु को शालिग्राम बनने का श्राप दिया था तभी से भगवान विष्णु शालिग्राम के रूप में विद्यमान है और शालिग्राम रूप में ही पूजे जाते हैं ।और इसी शालिग्राम पत्थर से भगवान राम की प्रतिमा आकार ले रही है जो बहुत जल्द भगवान राम अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजमान होंगे।